बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 - गृह विज्ञान - तृतीय प्रश्नपत्र - सामुदायिक विकास एवं प्रसार प्रबन्धन
प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधन क्या हैं? प्रसार शिक्षा में दृश्य-श्रव्य साधन की भूमिका का वर्णन कीजिए।
उत्तर -
दृश्य-श्रव्य साधन का अर्थ
दृश्य साधन शिक्षण का वह साधन है जिसे देखकर ज्ञान की प्राप्ति की जाती है। जैसे - पोस्टर, चित्र एवं चार्ट आदि। वहीं दूसरी ओर श्रव्य साधन शिक्षण का वह साधन है जो मात्र सुनाई देता है, जैसे- रेडियो, टेपरिकार्डर। इसके अतिरिक्त दृश्य-श्रव्य साधन वे होते हैं तो सुनाई और दिखाई दोनों देते हैं, जैसे टेलीविजन, नाटक, फिल्म आदि।
विनसेट का कथन है कि - "उचित दृष्टान्त निर्जीव व नीरस प्रस्तुतीकरण को जीवन प्रदान करता है।" प्रसार शिक्षा में सहायक इन सभी स्थूल एवं सूक्ष्म वस्तुओं को "सहायक साधन" भी कहते हैं। यही सहायक साधन दो भागों में विभाजित किए जाते हैं।
(1) दृश्य साधन - यह वह साधन है जो छात्राओं तथा ग्रामीण महिलाओं के सम्मुख प्रदर्शित किए जाते हैं।
(2) श्रव्य साधन - यह वह साधन है जो छात्राओं या ग्रामीण स्त्रियों को सुनाने के काम में आती है।
इनमें से प्रथम श्रेणी के दृश्य साधन के अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के चित्र, नमूने, मॉडल, फिल्में, फिल्म स्ट्रिप, मूर्तियाँ, लैटर्न स्लाइडस, एपिस्कोप, एपिडायस्कोप एवं पाठ्य पुस्तकें तथा अनुवीक्षण यंत्र आदि सम्मिलित हैं जबकि द्वितीय श्रेणी के श्रव्य साधन के अन्तर्गत रेडियो, ग्रामोफोन, टेपरिकार्डर आदि आते हैं। इनमें से कुछ साधन निम्नलिखित हैं-
(1) रेडियो कार्यक्रम - आधुनिक जीवन में प्रसार शिक्षण में रेडियो की भी सकारात्मक भूमिका है। रेडियो के माध्यम से एक बड़े समुदाय तक एक ही समय में पहुँचा जा सकता है। लोगों में जागरूकता उत्पन्न करने तथा नई-नई सूचनाएँ प्रदान करने की दृष्टि से यह सशक्त प्रभावशाली माध्यम है। रेडियो के कार्यक्रम पूर्व निश्चित और पूर्व घोषित समयानुसार प्रसारित किए जाते हैं इसीलिए श्रोता समूह को इसके लिए पहले से तैयार रहना सरल होता है। रेडियो कार्यक्रम सामान्य जनमानस हेतु होते हैं जिसमें प्रत्येक आयुवर्ग, रुचि, रंग, व्यवसाय तथा स्तरों इत्यादि के लोग होते हैं। इसके साथ-साथ रेडियो में राष्ट्रीय उन्नति की प्रगति में अपने दायित्व का निर्वाह करते हुए जन शिक्षा से सम्बन्धित कार्यक्रम भी बना कर प्रसारित करते हैं, जैसे- परिवार नियोजन एवं कल्याण कार्यक्रम, प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम, स्वास्थ्य सुरक्षा और संरक्षण कार्यक्रम आदि। ग्रामीण जनमानस के लिए विशेष कार्यक्रम प्रसारित होते हैं, जैसे- चौपाल, खेती, गृहस्थी, चौबारा, खेती की बातें, ग्रामीण बहनों का कार्यक्रम, आप का स्वास्थ्य, सुनो किसानों, घर आँगन, देहाती रेडियो गोष्ठी, खेती-बारी, हमारा गाँव, गृह लक्ष्मी, स्वास्थ्य संकेत। ग्रामीणों को इन कार्यक्रमों के माध्यम से कृषि, पशु-पक्षी एवं मत्स्य पालन सम्बन्धी जानकारियाँ प्रसारित की जाती हैं। इसके अतिरिक्त गृह उपयोगी कार्यक्रम भी प्रसारित किए जाते हैं जिनमें परिवार कल्याण, जच्चा-बच्चा की देखभाल, संतुलित आहार, सामान्य रोगों से रक्षा, टीकाकरण, चर्मरोगों का इलाज, बालिकाओं के अधिकार, खाद्य संरक्षण, अनाज भंडारण, खाली समय का सदुपयोग, स्त्री शिक्षा, विधवा विवाह, महिलाओं के कानूनी अधिकार, स्त्रियों के सामान्य रोग और उनका इलाज तथा सुस्वाद और पौष्टिक व्यंजन बनाना आदि सम्बन्धित बातों और जानकारियों को प्रसारित किया जाता है।
रेडियो कार्यक्रमों का प्रसारण ध्वनि तरंगों के माध्यम से किया जाता है, जिन्हें रेडियो' तथा ट्रांजिस्टर द्वारा एक निर्धारित फ्रिक्वेंसी (आवृत्ति ) पर ग्रहण करते हैं। रेडियो तथा ट्रांजिस्टर दोनों ही विद्युत बैटरी द्वारा चलते हैं। संवाद द्वारा शिक्षण के अत्यधिक उपयोगी एवं सशक्त माध्यम के रूप में रेडियो की कार्यक्रमों की सर्वत्र मान्यता है।
(2) टेपरिकार्ड या कैसेट - यह भी आधुनिक तकनीकी की देन है, जिस पर किसी भी वार्तालाप या संवाद को दर्ज या टेप करके बार-बार सुना जा सकता है अथवा आवश्यकता न रहने पर दूसरी बातों को रिकार्ड कर लिया जाता है। टेप या कैसेट रिकार्डर बिजली अथवा बैटरी द्वारा चालित होता है। आधुनिक शिक्षा के सम्बन्ध में यह एक उपयोगी साधन होने के बावजूद भी प्रसार शिक्षण में इसको अधिक प्रयुक्त नहीं किया जाता है। रेडियो प्रसारण में इसका अधिकतम उपयोग होता है। प्रशिक्षण शिविर में दी जाने वाली महत्वपूर्ण वार्ताओं की रिकार्डिंग प्रचार कार्यकर्ता अपने क्षेत्र के लोगों को इस श्रवण यंत्र के माध्यम से सुना सकता है। ग्रामीण प्रसार शिक्षण के लिए ग्रामीण महत्व तथा रुचिकर विषयों पर वार्ता के रिकार्ड किए हुए टैप एवं कैसेट प्रसार केन्द्रों पर उपलब्ध हो सकते हैं। इनके द्वारा ग्रामीण महिलाओं को परिवार के कल्याण के लिए उपयोगी तथा घर-गृहस्थी से सम्बन्धित बातों को सुनाकर भी उन्हें लाभान्वित किया जा सकता है।
विशेषज्ञों द्वारा विद्वानों के अनुभवों एवं आख्यानों को सुरक्षित रखने का यह महत्वपूर्ण साधन है। किसी भी महत्वपूर्ण रेडियो, टीवी प्रसारण को रिकार्ड कर के किसी भी समय लोगों को सुनाया जा सकता है। यह उनके लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जो किसी कारणवश कार्यक्रम विशेष में भाग लेने या सुनने से वंचित रह जाते हैं। स्लाइट या फिल्म पट्टी के साथ टेप रिकार्डर प्रयुक्त हो सकता है जिस प्रकार मुद्रित सामग्री को लम्बे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं वैसे ही रिकार्ड की गयी सामग्री को सुरक्षित रख सकते हैं, परन्तु यह महंगा साधन है और सामान्य जनमानस इससे लाभान्वित नहीं हो पाता है।
(3) दूरदर्शन या टेलीविजन - आधुनिक शिक्षण में दूरदर्शन सशक्त और प्रभावशाली भूमिका निभाता है क्योंकि इसमें श्रव्य और दृश्य दोनों ही पद्धतियाँ सम्मिलित हैं। प्रगति की गति को तीव्र करने के लिए भारत जैसे विकासशील देशों में दूरदर्शन की भूमिका को प्रभावी बनाया जा रहा है। दूरदर्शन के माध्यम से नयी-नयी पद्धतियों, प्रणालियों, गतिविधियों, उपलब्धियों, सूचनाओं तथा कार्य निष्पादन क्रिया आदि को अत्यधिक सुस्पष्ट रूप से लाखों-करोड़ों व्यक्तियों को ही एक साथ ही दिखाया जाता है। विभिन्न सर्वेक्षणों से यह ज्ञात हुआ है कि किसी भी राष्ट्र में सामाजिक-आर्थिक विकास में टेलीविजन कार्यक्रमों का विशेष रूप से योगदान है। अतः दूरदर्शन द्वारा गृहविज्ञान प्रसार शिक्षण की सफलता भी सुनिश्चित है।
हमारी आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीकी की देन टेलीविजन है, इसमें छोटे आकार की स्क्रीन या परदा लगा होता है जोकि एक विशेष प्रकार के शीशे से निर्मित होता है। वर्तमान समय में भारतीय बाजारों में 36 सेमी. से 51 सेमी. आकार की स्क्रीन वाले टेलीविजन सेट विक्रय हेतु उपलब्ध हैं। टेलीविजन का संचालन सामान्यतया विद्युत धारा के द्वारा किया जाता है जबकि छोटे आकार वाले टेलीविजन बैट्री के द्वारा भी संचालित किए जाते हैं।
प्रायः हमारे देश में दिल्ली दूरदर्शन केन्द्र से ही सर्वाधिक कार्यक्रमों का प्रसारण होता है जो कि देश के विभिन्न भागों में उपस्थित दूरदर्शन केन्द्रों के द्वारा ग्रहण करके रिले किए जाते हैं। कुछ केन्द्र अपने स्टूडियो में तैयार किए गए स्थानीय कार्यक्रम भी दिखाते हैं।
भारतीय टेलीविजन पर प्रसार शिक्षण को ध्यान में रखकर विभिन्न कार्यक्रम तैयार किए जाते हैं। ग्रामीण विकास तथा सामाजिक उत्थान से सम्बन्धित विभिन्न लोकप्रिय प्रसारणों को प्रतिदिन दूरदर्शन के कार्यक्रमों में स्थान दिया जाता है, जिनमें कृषि समाचार, हमारे उद्योग, ग्रामीण बहनों के लिए स्वास्थ्य परिचर्चा, घरेलू नुक्से, सफल रिवाज, कानूनी सलाह, हम और हमारा स्वास्थ्य, घरेलू उपयोग की चीजें बनाना, कम लागत के घर बनाना, नियोजन एवं कल्याण, मातृ तथा शिशु कल्याण, पर्यावरण शिक्षा, बच्चों की देखभाल, पौष्टिक आहार इत्यादि प्रमुख हैं।
परिवार प्रसार शिक्षा में दृश्य-श्रव्य साधन की भूमिका
गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा में सहायक उपकरण आवश्यक ही नहीं है बल्कि अनिवार्य भी हैं। चूँकि इस शिक्षा में पाठन विधि कुछ नीरस तथा मौखिक होती है, अतः उसे मनोरंजक, स्वाभाविक तथा उपयोगी बनाने हेतु विषय के अनुरूप सहायक सामग्री का उपयोग होना आवश्यक है। मात्र मौखिक शिक्षण से ही गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा के मूलभूत उद्देश्यों की पूर्ति नहीं हो पाती है। छात्राओं तथा ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाओं का पूर्व ज्ञान एवं अनुभव अत्यधिक सीमित होता है, अतः वे मौखिक पाठन के द्वारा गृहउपयोगी विभिन्न क्रियाओं तथा वस्तुओं, गृह शिल्प एवं शास्त्र का वास्तविक ज्ञान नहीं कर पाती हैं। उन्हें गृह विज्ञान सम्बन्धी तथ्यों का सच्चा ज्ञान तो प्रत्यक्षीकरण के द्वारा कराया जा सकता है। प्रत्यक्षीकरण में घटना, वस्तु अथवा क्रिया का विभिन्न ज्ञानेन्द्रियों द्वारा निरीक्षण करके पूर्व अनुभव के आधार पर छात्राएँ विवेचन करती हैं तथा इसके परिणामस्वरूप उनमें नवीन प्रत्ययों का संकल्पनाओं का सृजन होता है। यह प्रत्यय जब उनके मस्तिष्क में सुव्यवस्थित तथा सुनियंत्रित हो जाते हैं तब ज्ञान रूप धारण कर उनकी मानसिक वृद्धि करते हैं तथा विचार शक्ति और क्रियात्मक शक्ति को उत्तेजना प्रदान करते हैं।
छात्राओं को बोधगम्य और सच्चा ज्ञान दृश्य और श्रव्य सामग्री द्वारा प्रदान करना अधिक उपयोगी है तथा इन्हीं की सहायता से किए गए प्रशिक्षण के द्वारा इस शिक्षा के उद्देश्यों की भलीभांति पूर्ति भी होती है। जैसे- गृहव्यवस्था और साज-सज्जा सम्बन्धी शिक्षण एक अत्यधिक सुसज्जित घर के मॉडलों एवं चित्रों के बिना व्यर्थ है। दृश्य सामग्री स्थूल होती है। सूक्ष्मता की तुलनाकृत स्थूलता के आधार पर छात्राएँ सरलतापूर्वक ज्ञानोपार्जन कर लेती हैं। इसके साथ-साथ दृश्य एवं श्रव्य साधन आकर्षक एवं मनोरंजक होने के कारण उनके अवधान (Attention) को एकाग्र करने में भी सहायता करती है।
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- प्रश्न- प्रसार शिक्षा से आप क्या समझते हैं? प्रसार शिक्षा को परिभाषित कीजिए।
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- प्रश्न- गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा की विशेषताएँ समझाइये।
- प्रश्न- ग्रामीण विकास में गृह विज्ञान प्रसार शिक्षा का महत्व समझाइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा, शिक्षण पद्धतियों को प्रभावित करने वाले प्रमुख तत्वों का वर्णन करो।
- प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता की भूमिका तथा गुणों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधन क्या हैं? प्रसार शिक्षा में दृश्य-श्रव्य साधन की भूमिका का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सीखने और प्रशिक्षण की विधियाँ बताइए। प्रसार शिक्षण सीखने और प्रशिक्षण की कितनी विधियाँ हैं?
- प्रश्न- अधिगम या सीखने की प्रक्रिया में मीडिया की भूमिका बताइये।
- प्रश्न- अधिगम की परिभाषा देते हुए प्रसार अधिगम का महत्व बताइए।
- प्रश्न- प्रशिक्षण के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- प्रसार कार्यकर्त्ता के प्रमुख गुण (विशेषताएँ) बताइये।
- प्रश्न- दृश्य-श्रव्य साधनों के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा की प्रमुख विशेषताएँ क्या हैं?
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के मूल तत्व बताओं।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा के अर्थ एवं आवश्यकता की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- श्रव्य दृश्य साधन क्या होते हैं? इनकी सीमाएँ बताइए।
- प्रश्न- चार्ट और पोस्टर में अन्तर बताइए।
- प्रश्न- शिक्षण अधिगम अथवा सीखने और प्रशिक्षण की प्रक्रिया को समझाइए।
- प्रश्न- सीखने की विधियाँ बताइए।
- प्रश्न- समेकित बाल विकास सेवा (ICDS) कार्यक्रम को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- महिला सशक्तिकरण से आपका क्या तात्पर्य है? भारत में महिला सशक्तिकरण हेतु क्या प्रयास किए जा रहे हैं?
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान की विस्तारपूर्वक विवेचना कीजिए। इस अभियान के उद्देश्यों का उल्लेख करें।
- प्रश्न- 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- उज्जवला योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान घर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में राष्ट्रीय विस्तारप्रणाली की रूपरेखा को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- स्वयं सहायता समूह पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- स्वच्छ भारत अभियान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- उज्जवला योजना के उद्देश्य बताइये।
- प्रश्न- नारी शक्ति पुरस्कार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- स्वर्ण जयन्ती ग्राम स्वरोजगार योजना पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रधानमंत्री मातृ वन्दना योजना क्या है? इसके लाभ बताइए।
- प्रश्न- श्रीनिकेतन कार्यक्रम के लक्ष्य क्या-क्या थे? संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- भारत में प्रसार शिक्षा का विस्तार किस प्रकार हुआ? संक्षिप्त में बताइए।
- प्रश्न- महात्मा गाँधी के रचनात्मक कार्यक्रम के लक्ष्य क्या-क्या थे?
- प्रश्न- सेवा (SEWA) के कार्यों पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कल्याणकारी कार्यक्रम का अर्थ बताइये। ग्रामीण महिलाओं और बच्चों के लिए बनाये गए कल्याणकारी कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास से आप क्या समझते हैं? सामुदायिक विकास कार्यक्रम की विशेषताएँ बताइये।
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- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम के उद्देश्यों को विस्तारपूर्वक समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास एवं प्रसार शिक्षा के अन्तर्सम्बन्ध की चर्चा कीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विधियों को समझाइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यकर्त्ता की विशेषताएँ एवं कार्य समझाइये।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना संगठन को विस्तार से समझाइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम को परिभाषित कीजिए एवं उसके सिद्धान्तों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समुदाय के प्रकार बताइए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास की विशेषताएँ बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास के मूल तत्व क्या हैं?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना के अन्तर्गत ग्राम कल्याण हेतु कौन से कार्यक्रम चलाने की व्यवस्था है?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम की सफलता हेतु सुझाव दीजिए।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास योजना की विशेषताएँ बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक विकास के सिद्धान्त बताओ।
- प्रश्न- सामुदायिक संगठन की आवश्यकता क्यों है?
- प्रश्न- कार्यक्रम नियोजन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- सामुदायिक विकास कार्यक्रम क्या है?
- प्रश्न- प्रसार प्रबन्धन की परिभाषा, प्रकृति, सिद्धान्त, कार्य क्षेत्र और आवश्यकता बताइए।
- प्रश्न- नेतृत्व क्या है? नेतृत्व की परिभाषाएँ दीजिए।
- प्रश्न- नेतृत्व के प्रकार बताइए। एक नेता में कौन-कौन से गुण होने चाहिए?
- प्रश्न- प्रबंध के कार्यों को संक्षेप में समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा (Extension education) से आप क्या समझते है, समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा व प्रबंधन का सम्बन्ध बताइये।
- प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- विस्तार प्रबन्धन की विशेषताओं को संक्षिप्त में समझाइए।
- प्रश्न- प्रसार शिक्षा या विस्तार शिक्षा की आवश्यकता क्यों पड़ती है?
- प्रश्न- विस्तार शिक्षा के महत्व को समझाइए।
- प्रश्न- विस्तार शिक्षा तथा विस्तार प्रबंध में क्या अन्तर है?